मित्रों याद करो जब राजीनीती के आधुनिक चाणक्य श्री अमित शाह ने अनुच्छेद ३७० और ३५अ को जड़ से मिटाने का अभियान शुरु किया तो, मेहबूबा मुफ़्ती उन सभी विपक्षियों में सबसे आगे आगे कूद रही थी जो इस जानदार और शानदार कदम का विरोध कर रही थी।
ये वही मेहबूबा मुफ़्ती है, जो रैलियों में चीख चीख कर कह रही थी कि “यदि ३७० हटा, तो तिरंगे को कोई हाथ लगाने वाला भी नहीं मिलेगा”! ये मेहबूबा मुफ़्ती का परिवारिक अहंकार था जो जम्मू कश्मीर को अपने बाप की जागीर मान कर चलने की आदी हो चुकी थी। इसी मेहबूबा मुफ़्ती के गृह मंत्री बनते हि “कश्मीर के आतंकियों के हौसले इतने बुलंद हो गये कि उन्होंने “रालीव गालिव चालीव” का अपने कू संस्कारों से भरा नारा देकर कश्मीर में हिन्दुओं का कत्लेआम मचा दिया और तो और उन्हें रातो रात कश्मीर छोड़ने को विवश कर दिया।
और उस समय ये मेहबूबा मुफ़्ती अपने बाप को मिले राजसुख का आनंद ले रही थी। खैर भूतकाल की बात करेंगे तो इनके अनगिनत पाप सामने आ जाएंगे और “रईस मट्टू” का संदेश पीछे छूट जायेगा।
आप सोच रहे होंगे की ये रईस मट्टू कौन है? और स्वतन्त्रता दिवस पर इसकी चर्चा क्यों हो रही है, तो मित्रों आइये इस “रईस मट्टू और उसके हाथ में तिरंगा” का विश्लेषण करते हैँ:-
जैसा की आप जानते हैँ कि इस्लामिक चरमपंथियों का एक हैवानियत फैलाने वाला आतंकी संगठन है, जिसका नाम है “हिजबुल मुजाहिदिन”। ये आतंकी संगठन पिछले कई वर्षो से घाटी में आतंकवाद की घटनाये करता चला आ रहा है।हिज़बुल मुजाहिदीन अप्रैल, १९९० में अस्तित्व में आया एक अलगाववादी आतंकवादी संगठन है। इसका गठन मुहम्मद एहसान डार ने किया था। दिनांक १७ अक्टूबर २०१६ को जम्मू-कश्मीर में ज़ाकिर मूसा को हिज़्बुल का नया कमांडर बनाया। ये बुरहान वानी की मौत के बाद उसकी जगह नया कमांडर बनाया गया।/जी हाँ मित्रों वही “बुरहान वानी” जो पाकिस्तान का हीरो और भारत के कुछ राजीनीतिक पार्टियों के लिए एक जिंदादिल युवा था।
भारत, संयुक्त राज्य और यूरोपीय संघ द्वारा इस संगठन को आतंकवादी माना गया है।
इसी आतंकवादी संगठन से जुड़ा हुआ है “जावेद मट्टू” जो पाकिस्तान के आँखों का तारा बना हुआ है। जावेद मट्टू का ब्रेन वाश करके उसे हिजबूल का एक खूंखार आतंकी बना दिया है पाकिस्तान के ISI और अन्य आतंकियों ने। आजकल यह पाकिस्तान की गोद में बैठकर भारत को तोड़ने के सपने पाले हुए योजनाये बना रहा है। और मित्रों इसी जावेद मट्टू का भाई है रईस मट्टू जिसने ना केवल १५ अगस्त २०२३ को अपने घर पर तिरंगा लहराया अपितु अपने भाई से भी भूल सुधार कर घर वापसी की अपील की।
आपकों बताते चले की कश्मीर घाटी के सोपोर में वर्ष २००९ से सक्रिय लश्कर आतंकी जावेद अहमद मट्टू के भाई रईस अहमद मट्टू का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। इसमें आप देख सकते है कि रईस अपने घर पर शान से तिरंगा लहराते नजर आ रहे हैं। रईस मट्टू ने समाचार न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि उन्होंने किसी के दबाव में नहीं बल्कि अपने दिल से तिरंगा लहराया है। यह उनकी सोच है। वे युवाओं को यही पैगाम देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह हिंदुस्तानी थे, हिंदुस्तानी हैं और हमेशा हिंदुस्तानी रहेंगे।
सोचिये मित्रों अनुच्छेद ३७० के मिट जाने के पश्चात, कितना खूबसूरत बदलाव हुआ है और इस परिवर्तन का असर और प्रभाव इतना है कि एक खूंखार आतंकवादी का भाई भी अपने घर पर बड़े शान से तिरंगा लहराते हुए अपने भाई से मुख्य धारा में लौट आने की अपील कर रहा है। कश्मीर के वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए उसके अंदर ये विश्वाश उत्पन्न हुआ है।
१:- आज एक कश्मीरी जब श्रीनगर के लाल चौक पर शान से तिरंगे को लहराते देखता है, तो उसका खोया आत्मविश्वास वापस लौट आता है और वो अपने आप को जम्मू कश्मीर और लद्दाख के विकास में योगदान देने से नहीं रोक पाता;
२:- आज जब कांग्रेसी युवराज “भारत जोड़ो” यात्रा श्रीनगर के सड़कों से होता हुआ, लाल चौक तक लेकर जाता है और उसे किसी भी प्रकार के गोली, बम और अन्य बारूदी हथियारों की आवाज़ नहीं सुनाई देती तो वाह विश्वाश करने को विवश हो जाता है कि, कश्मीर अब परिवर्तित हो चुका है।
३:- जब कांग्रेसी युवराज और उनकी बहन कश्मीर के बर्फीली वादियों में बिना किसी खौफ के बच्चों की भांति खेलते हैँ एक दूसरे के ऊपर बर्फ का गोला बना के फेंकते हैँ और खुशी से तालियां बजाते उछलते हैँ, तो वह दृश्य अद्भुत होता है;
४:- जब कश्मीर की डल झील में कस्तियाँ फिर से पर्यटकों के साथ अठखेलियाँ करती हैँ तो उनके मालिकों के चेहरों पर खिली मुस्कान और संतोष का भाव असीम सुख का अनुभव कराता है;
५:- आज जम्मू, कश्मीर और लद्दाख का युवा आतंकवाद के बारे में नहीं अपितु अपने भविष्य और कैरियर के बारे में सोचता है और उसी के अनुसार योजनाबद्ध तरिके से सरकार के सहयोग से स्वर्णिम भविष्य के पथ का अनुगामी बन रहा है;
६:- जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में विकसित हो रहे इंफ्रास्ट्रक्चर ने उनकी विवशता से भरे जीवन को सुगमता और सरलता रूपी जीवन में ढाल दिया है;
७:- आज जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में किये जा रहे भारी निवेश से उसकी अर्थव्यबस्था को विश्वसनीय मजबूती मिली है;
८:- आज वंहा का आम नागरिक चाहे वो दुकानदार हो, या अन्य प्रकार का व्यवसायी हो, चिकित्सक हो या इंजीनियर हो या अधिवक्ता हो, मजदूर हो या किसान हो, निर्धन हो या धनवान हो, जनता चाहे किसी भी स्तर पे जीवन यापन कर रही हो, जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में हो रहे अमूलचूल परिवर्तन ने सबको उत्साहित कर दिया है। अब सब अपने अपने भविष्य के प्रति आशावान और खुश दिखलाई पड़ रहे हैँ।
९:- आज भारतीय जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में हो रहे विकास को देख नापाक पाकिस्तान के कब्जे में फंसा दूसरा भाग तड़प रहा है, विचलित हो रहा है और अपने ऊपर शुकर भक्षी जिन्ना द्वारा थोपे गये श्राप से मुक्ति हेतु छटपटा रहा है;
१०:- जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के गली गली, सडक सडक, चौराहे, तिराहे और दो राहे और हर घर पर लहरा रहा तिरंगा इस तथ्य को साबित करता है कि “मेहबूबा” तुम हि गलत थी, गलत हो और सदैव गलत रहोगी”!
आज एक कश्मीरी नागरिक और जावेद मट्टू जैसे खूंखार आतंकी के अपने सगे भाई ने तिरंगा लहराकर , “मेहबूबा” तुम्हें झूठा साबित कर दिया।
आज जिस प्रकार और जिस शान से तिरंगा रैली निकली है, उसे देखकर, मेहबूबा सहित ना जाने कितने नेताओं के सीने पर सांप लोट रहा होगा, जो खाते तो भारत का है पर इनका दिल पाकिस्तान के लिए धड़कता है।
ऐसे में जिस प्रकार एक आतंकवादी के भाई के हाथ ने तिरंगा उठा लिया और जिस प्रकार कई अलगाववादी नेताओं ने तिरंगे को अपने सीने से लगाकर लाल चौक पर लहराया और “भारत माता की जय” तथा “वन्दे मातरम ” के पवित्र नारे लगाए, उसने साबित कर दिया की यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और इरादे नेक हो तो प्रकृति पूरे दम खम से उसका साथ देने को तत्पर हो जाती है, इसलिए हे मेहबूबा तुम तो झूठी निकली।
यस्मिन् देशे वयं जन्मधारणं कुर्मः स हि अस्माकं देशः जन्मभूमिः वा भवति । जननी इव जन्मभूमिः पूज्या आदरणीया च भवति । अस्याः यशः सर्वेषां देशवसिनां यशः भवति । अस्याः गौरवेण एव देशवसिनां गौरवम् भवति । ये जनाः स्वाभ्युदयार्थ देशस्याहितं कुर्वन्ति ते अधमाः सन्ति । देशभक्तिः सर्वासु भक्तिषु श्रेष्ठा कथ्यते । अनया एव देशस्य स्वतंत्रतायाः रक्षा भवति । अनया एव प्रेरिताः बहवः देशभक्ताः भगत सिंघः, चन्द्रशेखर आजाद प्रभृतयः आत्मोत्सर्गम् अकुर्वन् । झाँसीश्वरी लक्ष्मीबाई, राणाप्रताप मेवाड़केसरि, शिववीरः च प्रमुखाः देशभक्ताः अस्माकं देश जाता । देशभक्तिः व्यक्ति-समाज -देशकल्याणार्थ परमम् औषधम् अस्ति ।
अर्थात:-जिस देश में हमलोग जन्म लेते हैं वही देश हमारा जन्मभूमि होता है । माता और मातृभूमि पूजनीय और आदरणीय होता है । इसके यश से ही पुरे देशवाशियों का यश होता है । इसके गौरव से ही सभी देशवासियों का गौरव होता है । जो लोग अपने उदय के लिए देश का हित करते हैं, वो अधम है । देशभक्ति सभी भक्तियों में श्रेष्ठ कहा जाता है । इस से देश की स्वतंत्रता की रक्षा होती है । देशभक्ति से प्रेरित लोग जैसे भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद आदि अपना वलिदान दे दिए । हमारे देश में झाँसी की लक्ष्मीबाई मेवाड़ के राणाप्रताप आदि देशभक्त हुए । देशभक्ति व्यक्ति, समाज और देश के कल्याण के लिए औषध(दवा) के समान है ।
पर मेहबूबा तुम यह नहीं समझ सकती, क्योंकि तुम्हारे अंदर बस वो नहीं है, जो हम सब में है अपने देश के प्रति।
भारत माता की जय। वंदेमातरम।
लेखक:- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)
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