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रिपोर्ट

कन्हैया लाल की अस्थियों को विसर्जन का इंतजार: जानिए कौन-सी जमीनी फैक्टर तय कर रहे चुनावी गणित

NTN Staff
Last updated: 2023/10/31 at 9:22 PM
NTN Staff 2 years ago
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Contents
कॉन्ग्रेस की विफलता से जनता नाराजउदयपुर की दर्दनाक घटना कॉन्ग्रेस के लिए वोटबैंक का मौका: प्रधानमंत्री मोदीभाजपा की उदयपुर पर खास नजरकॉन्ग्रेस पर वोटबैंक की राजनीति के आरोपकन्हैया लाल की अस्थियाँ माँग रहीं न्यायसाल 2018 में भाजपा ने 8 में से 6 सीटों पर हासिल की थी जीत

राजस्थान में विधानसभा चुनाव का शोर है। चुनावी शोर में मेवाड़ रीजन का उदयपुर जिला भी अछूता नहीं है। ये वही उदयपुर है, जो पिछले कुछ समय से काफी चर्चा में रहा। एक दर्जी कन्हैया लाल की उनके दुकान में घुसकर जिहादियों ने इसी उदयपुर में मौत के घाट उतार दिया था, जिसकी न सिर्फ चर्चा पूरे देश में हुई, बल्कि जिहादी मानसिकता के विरोध में खूब प्रदर्शन भी हुए। अब उसी उदयपुर में राजनीतिक पार्टियों ने चुनावी जीत के लिए पूरी ताकत लगा दी है, लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट कहती है कि कॉन्ग्रेस की राह इस बार बेहद मुश्किल है।

कॉन्ग्रेस की मुश्किल राह में अभी तक कन्हैया लाल हत्याकांड का कलंक तो है ही, राजस्थान में युवाओं के साथ लगातार होता धोखा और अशोक गहलोत सरकार की प्रशासनिक विफलता भी है। साथ ही पूरे राजस्थान में सचिन पायलट जैसे युवा नेताओं की मेहनत को अशोक गहलोत जैसे ‘जादूगर’ का खा जाना भी जनता को खल रहा है।

कॉन्ग्रेस की विफलता से जनता नाराज

न्यूज 18 से बातचीत में स्थानीय युवकों का कहना है कि अशोक गहलोत की अगुवाई में कॉन्ग्रेस सरकार ने उदयपुर की हमेशा अनदेखी की है। राज्य में एक के बाद एक पेपरलीक कांड हो रहे हैं। कोई भी भर्ती पूरी नहीं हो पा रही है। बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है तो उदयपुर में कन्हैयालाल जैसे आम आदमी की आतंकवादी हमले में हत्या कर दी जाती है। क्या ऐसे प्रशासन चलता है? आम लोग अशोक गहलोत सरकार द्वारा घोषित मुफ्त की चुनावी रेवड़ियों पर भी नाराजगी जता रहे हैं।

लोगों का कहना है कि अगर प्रशासनिक व्यवस्था अच्छी होती तो न ही पेपर लीक जैसे कांड लगातार होते और न ही कन्हैया लाल जैसों की जान जाती। ऐसे में अशोक गहलोत को चुनावी रेवड़ियों की जरूरत नहीं पड़ती। इकबाल नाम के मुस्लिम युवक का कहना है कि राजस्थान में पहले सांप्रदायिक तनाव नहीं दिखता था, लेकिन अब नेताओं की वजह से राजस्थान का भी चुनावी सांप्रदायीकरण हो गया है।

उदयपुर की दर्दनाक घटना कॉन्ग्रेस के लिए वोटबैंक का मौका: प्रधानमंत्री मोदी

उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या के पूरा हिंदू समाज एकजुट नजर आ रहा है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कन्हैया लाल हत्याकांड की बात चित्तौड़गढ़ की रैली में उठाकर जनता को फिर से याद दिलाई है कि अशोक गहलोत के शासन में कानून व्यवस्था की स्थिति कैसी है। इसके लिए उन्होंने कॉन्ग्रेस की वर्तमान सरकार को दोषी ठहराया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चित्तौड़गढ़ की रैली में कहा था, “उदयपुर में जो हुआ उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। लोग कपड़े सिलवाने के बहाने आते हैं और बिना किसी डर या खौफ के दर्जी का गला काट देते हैं। इस मामले में भी कॉन्ग्रेस को वोट बैंक नजर आया।”

प्रधानमंत्र मोदी ने राज्य सरकार से पूछा कि उदयपुर के दर्जी हत्याकांड में कॉन्ग्रेस पार्टी ने क्या किया, वोट बैंक की राजनीति की? बता दें कि भाजपा की निलंबित नेता नूपुर शर्मा का समर्थन करने के कारण कन्हैया लाल तेली की हत्या कर दी गई थी, जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आया था।

#WATCH …उदयपुर में जो हुआ उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी… लोग कपड़े सिलवाने के बहाने आते हैं और बिना किसी डर या खौफ के दर्जी का गला काट देते हैं… इस मामले में भी कांग्रेस को वोट बैंक नजर आया। मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं कि उदयपुर दर्जी हत्याकांड में कांग्रेस पार्टी… pic.twitter.com/EIpxjIL6X5

— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 2, 2023

भाजपा की उदयपुर पर खास नजर

भारतीय जनता पार्टी की खास नजर उदयपुर जिले पर है। इसकी कई वजहें हैं, लेकिन एक वजह जो पूरे चुनाव को प्रभावित कर रही है, वो है मुस्लिम तुष्टिकरण की वजह से कॉन्ग्रेस का घिरना और भाजपा का हिंदुत्व कार्ड। उदयपुर की 8 में से 5 विधानसभा सीटें भले ही आरक्षित श्रेणी की रही हों, लेकिन पूरे जिले को प्रभावित करने वाले उदयपुर विधानसभा सीट पर लंबे समय से भाजपा का कब्जा रहा है। यहीं से अमित शाह ने राजस्थान के चुनावी रण की शुरुआत की तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी उदयपुर जिले को प्राथमिकता में रखा है।

कॉन्ग्रेस पर वोटबैंक की राजनीति के आरोप

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उदयपुर में 30 जून 2023 को रैली की थी। उन्होंने अशोक गहलोत के पाप गिनाए थे। अमित शाह ने मंच से कहा था, “अशोक गहलोत की सरकार भ्रष्टाचार करने में नंबर-1 पर है। आज आपके पास ये हिसाब माँगने का मौका है कि राजस्थान सचिवालय के अंदर मिला दो करोड़ रुपया और एक किलो सोना किसका है? इस सरकार ने भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ने का काम किया है।”

अमित शाह ने कहा था, “गहलोत जी ने जितने वादे किए थे, वो सब तोड़ दिए। कन्हैया लाल को सुरक्षा इन्होंने नहीं दी। जब तक वो मर गए तब तक आपकी पुलिस चुप रही। आप तो आरोपियों को पकड़ना भी नहीं चाहते थे… NIA ने पकड़ा। राजस्थान सरकार स्पेशल कोर्ट नहीं बनाती है, वरना तो अभी तक कन्हैया लाल के दोषियों को फाँसी पर लटका चुके होते। इनको शर्म आनी चाहिए, ये वोटबैंक की राजनीति करते हैं।”

कन्हैया लाल की अस्थियाँ माँग रहीं न्याय

दरअसल, 28 जून 2022 को उदयपुर में कन्हैया लाल दर्जी की दो लोगों ने बेरहमी से हत्या कर दी थी। कन्हैया लाल एक हिंदू थे, जिनके बेटे ने भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था। इस पोस्ट के बाद कन्हैया लाल को लगातार धमकियाँ मिल रही थीं। हत्या के दिन दो लोग- मोहम्मद रियाज अंसारी और मोहम्मद गौस दुकान पर आए और कन्हैया लाल पर धारदार हथियारों से हमला कर दिया।

उन्होंने कन्हैया लाल की गला रेतकर हत्या कर दी और फिर उसका वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। इस वीडियो में दोनों हमलावरों ने कन्हैया लाल की हत्या को एक “बयान” के रूप में बताया और कहा कि वे नूपुर शर्मा के समर्थन में हत्या कर रहे हैं।

कन्हैया लाल की हत्या ने पूरे देश में आक्रोश और गुस्से का माहौल पैदा कर दिया। बता दें कि इस घटना के करीब डेढ़ साल बीत जाने के बावजूद अभी तक हत्यारों को सजा नहीं मिली हैं, तो कन्हैया लाल की अस्थियों का विसर्जन भी नहीं हुआ है। इस मामले में एक आरोपित को कोर्ट ने जमानत भी दे दी है।

साल 2018 में भाजपा ने 8 में से 6 सीटों पर हासिल की थी जीत

उदयपुर में आठ विधानसभा सीटें हैं। इन 8 विधानसभा सीटों में से भारतीय जनता पार्टी को 6 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं, कॉन्ग्रेस को सिर्फ 2 सीटों से संतोष करना पड़ा था। उदयपुर जिले में गोगुंडा, खेरवाड़ा, झाडोल, उदयपुर (ग्रामीण), सालुंबर, मावली, उदयपुर और वल्लभनगर विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें से शुरुआती पाँच विधानसभा सीटें साल 2018 के चुनाव में एसटी वर्ग के लिए आरक्षित थी।

इसमें से खेरवाड़ा (सुरक्षित) सीट पर कॉन्ग्रेस के दयाराम परमार ने जीत दर्ज की थी। वल्लभनगर सीट पर कॉन्ग्रेस के गजेंद्र सिंह शक्तावत विजयी हुए थे। गजेंद्र सिंह शक्तावत की कोरोना में हुई असामयिक मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने उप-चुनाव में जीत हासिल की थी। बाकी की 6 विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा था।

उदयपुर विधानसभा सीट पर गुलाबचंद कटारिया का लंबे समय से दबदबा रहा है और वो महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। उदयपुर जिला कटारिया का गढ़ माना जाता है। कटारिया को बीते फरवरी माह में केंद्र सरकार ने विपक्ष के नेता के पद से मुक्त करके राज्यपाल बना दिया। वो सक्रिय राजनीति से भले दूर हो गए हों, लेकिन उनका असर उदयपुर की राजनीति पर दिखता है।



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NTN Staff October 31, 2023 October 31, 2023
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