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रिपोर्ट

क्राउन प्रिंस ने नहीं दिया भाव, भारत-सऊदी संबंधों से क्यों भड़का पाकिस्तान?

NTN Staff
Last updated: 2023/09/12 at 1:56 PM
NTN Staff 2 years ago
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Contents
पाकिस्तान आने वाला निवेश भारत चला गया क्या?‘पाकिस्तानी होने के नाते लज्जित हूँ’‘हमें अपना घर संभालने की जरूरत’

जी-20 की बैठक के लिए भारत पहुँचे सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) भले ही एक दिन ज्यादा भारत में रुके हों, लेकिन इससे पाकिस्तानियों को मिर्ची लग गई है। भारत में रुके MBS ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक की और दोनों देशों के बीच कई अहम समझौतों को अंजाम दिया। भारत के साथ सऊदी अरब ने 100 बिलियन डॉलर के निवेश को लेकर भी बात की। लेकिन यही बात अब पाकिस्तान को अखर रही है।

दरअसल, पाकिस्तान लंबे समय से सऊदी अरब से मिलने वाली ‘भीख’ पर निर्भर रहता था। उसकी जब भी हालत खराब होती है, तो वो मुस्लिम देश होने के नाम पर सऊदी अरब के सामने कटोरा लेकर पहुँच जाता है। हाल ही में सऊदी अरब ने कहा था कि वो पाकिस्तान की मदद करेगा, लेकिन भारत में आकर उसने पाकिस्तान से ज्यादा अहमियत भारत को दी है। भारत के साथ रक्षा क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने के लिए सऊदी अरब से हामी भरी है, तो भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप के बीच इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने पर भी वो सहमत हुआ है, ऐसे में पाकिस्तान को लग रहा है कि सऊदी अरब उसकी मदद बंद कर देगा।

पाकिस्तान को उम्मीद थी कि सऊदी अरब पाकिस्तान में 25 अरब डॉलर का निवेश करेगा, और इन पैसों से वो अपने कर्ज की भरपाई करने की कोशिश करेगा। सोमवार (11 सितंबर, 2023) को ही पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर-उल-हक काकर ने कहा है कि कि सऊदी अरब का निवेश खनन, कृषि और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में आएगा, और यह कर्ज में डूबे देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाने के प्रयास का हिस्सा है। लेकिन, मोहम्मद बिन सलमान का भारत में रुकना पाकिस्तानियों के लिए मानो किसी बड़े सदमे से कम नहीं है।

वहीं, जी-20 के पहले ही दिन भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) की घोषणा से पाकिस्तानी नागरिकों में सरकार के खिलाफ आक्रोश पैदा हो गया है। कई लोगों ने इसे ‘आखिरी चेतावनी’ के बताते हुए सरकार से संभलने को कहा है।

पाकिस्तान आने वाला निवेश भारत चला गया क्या?

‘हिंदुस्तान टाइम्स‘ की खबर के मुताबिक, एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर वजाहत एस खान नाम के एक यूजर ने लिखा, “डीजी-आईएसआई का आधिकारिक बायो बताता है कि उन्हें पढ़ना पसंद है। शायद उन्हें इसे पढ़ना चाहिए, और फिर बॉस से पूछना चाहिए कि क्या सऊदी अरब से आने वाला 25 बिलियन डॉलर इस नए ‘सऊदी-भारतीय आर्थिक गलियारे’ (एसआईपीईसी) का हिस्सा बनने जा रहा है?”

If only policy makers in Islamabad had an iota of intellect and awareness, this India-MiddleEast-Europe Economic Corridor would have passed right through Pakistan and we would have become the hub of global economy, tourism and connectivity. It’s a moment of shame for all of us. https://t.co/XJxY10j2oQ

— Awais Tarar🧘 (@DrAwaisTarar) September 9, 2023

‘पाकिस्तानी होने के नाते लज्जित हूँ’

एक अन्य यूजर ने पाकिस्तान के लिए इसे आखिरी चेतावनी बताया। और कहा कि पाकिस्तान को बचना है तो उसे संभलना पड़ेगा। एक यूजर ने लिखा, “एक पाकिस्तानी के रूप में, मैं आज शर्म की गहरी भावना महसूस किए बिना नहीं रह सकता। हमारा राष्ट्र बेहतर नेतृत्व, जवाबदेही और उज्जवल भविष्य का हकदार है। यह बदलाव का समय है और उन मूल्यों के प्रति नए सिरे से प्रतिबद्धता है जो वास्तव में हमारा प्रतिनिधित्व करते हैं।”

⚠️17 years ago 🇵🇰 used all its diplomatic leverage to convince US President G.W. Bush to stop over in Pakistan after his state visit to India where POTUS signed the Nuclear Cooperation Agreement with India. There was a huge hue and cry in Pakistan at the time that the POTUS… https://t.co/S5n3cR7mas pic.twitter.com/Sn04qoeUgX

— Raza Hassan (@RazaSHassan) September 9, 2023

‘हमें अपना घर संभालने की जरूरत’

एक एक्स-यूजर ने लिखा, “अब समय आ गया है कि हम अपना घर व्यवस्थित करें और अपनी प्राथमिकताएँ ठीक करें। इच्छाधारी सोच और घटिया स्तर राजनीति हमें कहीं नहीं ले जाएगी। शायद हमारी सीमाओं का पुनर्मूल्यांकन और उन पर सवाल उठाने से वह बदलाव आ सकता है जिसकी हमारे देश को ज़रूरत है।”

बता दें कि इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEEC) एक प्रस्तावित व्यापार और निवेश गलियारा है जो भारत को मिडिल ईस्ट और यूरोप को जोड़ेगा। गलियारे को चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का मुकाबला करने का एक तरीका माना जाता है, जिसकी ऋण-जाल कूटनीति और पर्यावरणीय प्रभाव के लिए आलोचना की गई है। यह नए व्यापार और निवेश के अवसर पैदा करेगा, कनेक्टिविटी में सुधार करेगा और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।

ये आर्थिक गलियारा भारत की चीन पर निर्भरता को कम करने और क्षेत्र में अपने रणनीतिक स्थिति को बेहतर बनाने में भी मदद करेगा। भारत से सऊदी अरब-तुर्की होते हुए यूरोप तक सीधे माल की आवाजाही होगी, जो चीन के सिल्क रोड की अहमियत को कम कर देगा।



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