By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
  • भारत
    • देश-समाज
    • राज्य
      • दिल्ली NCR
      • पंजाब
      • यूपी
      • राजस्थान
  • राजनीति
    • राजनीति
    • रिपोर्ट
    • राष्ट्रीय सुरक्षा
  • मनोरंजन
    • वेब स्टोरीज
    • बॉलीवुड TV ख़बरें
  • विविध
    • विविध विषय
    • धर्म संस्कृति
    • भारत की बात
    • बिजनेस
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी
  • सोशल
Reading: नेहरू ने अंग्रेजों से की चंद्रशेखर आज़ाद की मुख़बिरी? भतीजे ने भी बताया था News To Nation
Share
Notification Show More
Aa
Aa
  • भारत
  • राजनीति
  • मनोरंजन
  • विविध
  • सोशल
  • भारत
    • देश-समाज
    • राज्य
  • राजनीति
    • राजनीति
    • रिपोर्ट
    • राष्ट्रीय सुरक्षा
  • मनोरंजन
    • वेब स्टोरीज
    • बॉलीवुड TV ख़बरें
  • विविध
    • विविध विषय
    • धर्म संस्कृति
    • भारत की बात
    • बिजनेस
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी
  • सोशल
Have an existing account? Sign In
Follow US
  • भारत
  • राजनीति
  • मनोरंजन
  • विविध
  • सोशल
© 2023 Saffron Sleuth Media. All Rights Reserved.
भारत की बात

नेहरू ने अंग्रेजों से की चंद्रशेखर आज़ाद की मुख़बिरी? भतीजे ने भी बताया था News To Nation

NTN Staff
Last updated: 2023/02/27 at 4:01 PM
NTN Staff 2 years ago
Share
SHARE

Contents
सुभाष बोस के रिश्तेदारों की जासूसी नेहरू की आत्मकथा आजाद के खिलाफ नेहरू की दुश्मनी

महान स्वतंत्रता सेनानी महान चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad) की आज पुण्यतिथि है। वह 27 फरवरी 1931 को अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) पर ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि वह चंद्रशेखर आजाद की हत्या में शामिल थे। क्रांतिकारी बलिदानी चंद्रशेखर आजाद के जन्मदिवस (23 जुलाई) के अवसर पर 2018 में उनके भतीजे सुजीत आजाद ने ‘दैनिक जागरण’ से बातचीत में कहा था, “नेहरू ने देश के साथ गद्दारी कर चंद्रशेखर आजाद की हत्या कराई। यह बात किसी से छिपी नहीं है। कॉन्ग्रेस ने हमेशा देश को बाँटने का काम किया है।”

इसी तरह राजस्थान के कोटा स्थित रामगंज मंडी से भाजपा विधायक मदन दिलावर ने 2021 में कहा था, “पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अंग्रेजों के साथ मिलकर चंद्रशेखर आजाद की हत्या करवाई थी। मृत्यु से पहले चंद्रशेखर आजाद, पंडित नेहरू से मिलने गए थे। इसके बाद पंडित नेहरू को मालूम था कि वे अल्फ्रेड पार्क में बैठे हैं और नेहरू ने अंग्रेजों को इस बात की जानकारी दी।”

उन्होंने आगे यह भी आरोप लगाया था कि नेहरू द्वारा अंग्रेजों को सारी जानकारी दिए जाने के बाद अल्फ्रेड पार्क में ब्रिटिश सिपाहियों ने आजाद को चारों तरफ से घेर लिया और फिर उन पर हमला कर दिया। बकौल मदन दिलावर, वीर चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों की गोली से मरने या फिर उनके कब्जे में जाने से जान देना ठीक समझा और भारत माँ के लिए खुद को ही गोली मार कर बलिदान हो गए।

वहीं, ‘दैनिक भास्कर’ में 6 साल पहले चंद्रशेखर आजाद के बलिदान को लेकर खुलासा किया गया था कि उन्हें इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के एक बड़े नेता ने अंग्रेजों की मुखबिरी करके मरवाया था। उनकी मौत से जुड़ी एक गोपनीय फाइल लखनऊ के CID ऑफिस में रखी है। फाइल में इलाहाबाद के तत्कालीन अंग्रेज पुलिस अफसर नॉट वावर का बयान है। नॉट वावर ने अपने बयान में कहा था – वह अपने घर पर खाना खा रहे थे, उसी समय भारत के 1 बड़े नेता का मैसेज आया। इसमें बताया गया कि आप जिसकी तलाश कर रहे हैं, वह इस समय अल्फ्रेड पार्क में मौजूद है और सुबह 3 बजे तक रहेगा। इसके बाद नॉट वावर बिना देरी किए पुलिस बल के साथ अल्फ्रेड पार्क पहुँच गया और पार्क को चारों तरफ से घेर लिया।

‘DailyO’ वेबसाइट पर 27 फरवरी, 2016 को ‘क्या नेहरू ने अंग्रेजों के साथ मिलकर चंद्रशेखर आजाद को धोखा दिया था’ शीर्षक से एक लेख प्रकाशित किया गया था। DailyO ने क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद के भतीजे सुजीत आजाद के हवाले से लिखा था कि जवाहरलाल नेहरू ने उनके (चंद्रशेखर) ठिकाने के बारे में अंग्रेजों को जानकारी दी थी। नेहरू की वजह से उनकी हत्या हुई। सुजीत आजाद ने यह भी दावा किया था कि भगत सिंह को छोड़ने के लिए नेहरू को HSRA फंड भी दिया गया था। नेहरू ने यह फंड ले लिया, लेकिन उसे बाँटा नहीं किया। भले ही आजाद का यह दावा सच हो, लेकिन मेनस्ट्रीम मीडिया में इसे कोई कवरेज नहीं मिली।

सुभाष बोस के रिश्तेदारों की जासूसी

देश की सबसे पुरानी पार्टी कॉन्ग्रेस के दिग्गज नेता लंबे समय से अंग्रेजों से लड़ने का दावा करते रहे हैं। ऐसे में चंद्रशेखर आजाद से जुड़ा यह हैरान कर देने वाला दावा उन पर कई सवाल खड़े कर रहा था। गाँधी को नियमित रूप से अंग्रेजों से गोपनीय जानकारी मिलती थी, जिन्होंने उनके साथ सुभाष चंद्र बोस की गतिविधियों से जुड़ी गुप्त फाइलों को भी साझा किया था। पटेल और नेहरू ने अंग्रेजों के साथ मिलकर 1946 में मुंबई के नौसैनिक विद्रोहियों को धोखा दिया था।

नेहरू पर सुभाष बोस के रिश्तेदारों की जासूसी के आरोप भी लगे थे। लेख के मुताबिक, 1947 में भारत के आजाद होने के बाद सत्ता संभालते ही नेहरू ने ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों के साथ कई खुफिया जानकारी साझा की थी। ऐसे में माँग उठती रही है कि सुजीत आजाद के आरोपों को अत्यंत गंभीरता से जाँच की जाए। क्या नेहरू ने सच में चंद्रशेखर आजाद को धोखा दिया था?

नेहरू की आत्मकथा

नेहरू ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि गाँधी-इरविन वार्ता शुरू होने से पहले चंद्रशेखर आजाद 1931 की शुरुआत में इलाहाबाद में उनके आवास पर उनसे मिलने आए थे। उन्होंने लिखा, “मुझे उस समय के बारे में एक जिज्ञासु घटना याद है। एक अजनबी मुझसे मिलने मेरे घर आया और मुझे बताया गया कि वह चंद्रशेखर आजाद है। मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा था, लेकिन मैंने उसके बारे में दस साल पहले सुना था, जब उसने कम उम्र में असहयोग आंदोलन शुरू किया था और 1921 में एनसीओ आंदोलन के दौरान जेल गया था।

नेहरू ने लिखा है, “बाद में, वह आतंकवादियों के समूह में शामिल हो गया था। हालाँकि, यह सब मैंने अस्पष्ट रूप से सुना था और मैंने इन अफवाहों में कोई दिलचस्पी नहीं ली थी। वह हमारे घर आया था, क्योंकि ब्रिटिश सरकार और कॉन्ग्रेस के बीच कुछ उस वक्त बातचीत की संभावना थी। वह जानना चाहता था कि क्या उनके बीच होने वाले समझौते में उन लोगों को भी राहत मिलेगी। क्या उन्हें अभी भी आतंकी माना जाएगा और उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाएगा। क्या उन्हें शांतिपूर्ण व्यवसाय करने की अनुमति दिए जाने की संभावना है?”

पूर्व पीएम ने यह भी लिखा, “उसने मुझे बताया कि जहाँ तक उसका और उसके कई सहयोगियों का संबंध है, उन्हें अब इस बात पर भरोसा हो गया है कि आतंकवादी किसी का भला नहीं कर सकते हैं। हालाँकि, वह यह मानने के लिए तैयार नहीं था कि भारत शांतिपूर्ण तरीके से पूरी तरह से आजाद हो पाएगा। उसने सोचा था कि भविष्य में कभी हिंसक संघर्ष हो सकता है, लेकिन यह आतंकवादी तरीके से नहीं होगा। जहाँ तक भारत की स्वतंत्रता का सवाल था, उन्होंने आतंकवाद को सिरे से खारिज कर दिया। लेकिन फिर उसने कहा कि जब उसे बसने का कोई मौका नहीं दिया जाएगा, तो वह इस स्थिति में क्या करेगा। उसे यह बात हर समय परेशान कर रही थी?

नेहरू ने आगे लिखा, “आजाद से सीखकर मुझे खुशी हुई और बाद में मुझे इस बात पर भरोसा हो गया कि अब आतंकवाद में उनके समूह का विश्वास नहीं रहा। बेशक, इसका मतलब यह नहीं था कि पुराने आतंकवादी या उनके नए सहयोगी अहिंसा का मार्ग अपनाने वाले थे, या ब्रिटिश शासन के प्रशंसक बन गए थे। लेकिन, वे आतंकवाद के मामले में पहले की तरह नहीं सोचते थे। उनमें से कई मुझे ऐसा लगता है, निश्चित रूप से फासीवादी मानसिकता वाले हैं।”

नेहरू के शब्दों में, “चंद्रशेखर आजाद को मैं केवल इतना सुझाव दे सकता था कि उसे अपने प्रभाव का उपयोग भविष्य में आतंकवादी घटना को रोकने के लिए करना चाहिए। दो-तीन हफ्ते बाद, जब गाँधी-इरविन की बातचीत चल रही थी, मैंने दिल्ली में सुना कि चंद्रशेखर आजाद को इलाहाबाद में पुलिस ने गोली मार दी। दिन के समय एक पार्क में उसकी पहचान हो गई थी और भारी पुलिस बल ने उसे घेर लिया। उसने एक पेड़ के पीछे छिपकर अपना बचाव करने की कोशिश की। वहाँ फायरिंग हो रही थी और खुद को गोली मारने से पहले उसने एक या दो पुलिसकर्मियों को घायल कर दिया था।”

आजाद के खिलाफ नेहरू की दुश्मनी

आजाद के खिलाफ नेहरू की दुश्मनी उन पर लगाए गए आरोपों से प्रेरित हो सकती है। इस पर सत्यनारायण शर्मा ने लिखा है कि जब आजाद ने नेहरू से पूछा कि क्या गाँधी इरविन से उनके और साथियों (भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु) की मौत की सजा को रद्द करने के बारे में बात करेंगे, तो नेहरू ने जवाब दिया था कि वह उनके सवाल का जवाब देने में असमर्थ हैं, क्योंकि उस समय गाँधी क्रांतिकारियों के हित में किसी भी प्रकार का कार्य करने को इच्छुक नहीं थे।

आजाद ने तब गुस्से में जवाब दिया था कि यह उन जैसे देशभक्तों के साथ घोर अन्याय है। उसके तीन साथियों को फाँसी दी जा रही है। उन्हें नेहरू और उनके जैसे लोगों से अस्वीकृति के अलावा कुछ नहीं मिला है। नेहरू और उनके जैसे अन्य लोगों को भी क्रांतिकारियों की तरह गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उनको रिहा कर दिया जाएगा, जबकि दूसरों को फाँसी पर लटका दिया जाएगा। नेहरू के पास उस प्रश्न का कोई जवाब नहीं था।

Source

Copy

You Might Also Like

फ़ौज ने किया 400 हिन्दुओं का नरसंहार तो खुश हुए नेहरू, गाँधी ने पूरे बिहार को कहा ‘पापी’: 1946 दंगे News To Nation

ओडिशा के सूर्यवंशी गजपति राजा, जिन्होंने तेलंगाना तक इस्लामी शासन को उखाड़ फेंका था News To Nation

‘नौजवानों से नहीं कह सकते कि वे बम-पिस्तौल उठाएँ… राष्ट्र सेवा, राष्ट्रीय त्याग ही सर्व-महत्वपूर्ण’ News To Nation

जब अमेरिका के कई होटलों में स्वामी विवेकानंद को नीग्रो समझ अंदर जाने से रोका गया News To Nation

इस्लामी आक्रांताओं का संहार, कोणार्क चक्र का विज्ञान, सूर्य मंदिर और G20: जानिए इतिहास News To Nation

NTN Staff February 27, 2023 February 27, 2023
Share This Article
Facebook Twitter Email Print
Previous Article चंद्रशेखर आज़ाद की मूँछ वाली तस्वीर के पीछे की कहानी, जब झाँसी में रुके थे News To Nation
Next Article क्या LIVE -IN रिलेशनशिप में “विवाह की प्रकृति” जैसे सम्बन्ध होते हैं? भाग-२ News To Nation
Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Follow US
© Saffron Sleuth Media .All Rights Reserved.
  • सारी हिन्दी ख़बरें
  • संपर्क करें
  • हमारे बारे में
  • गोपनीयता नीति
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?