जी हाँ मित्रों सर्वोच्च न्यायालय में मणिपुर की सैकड़ो घटनाओ में से एक घटना का चुनाव कर उसका स्वत: संज्ञान लेने वाले और तथाकथित वामपंथियों और लीब्राण्डूओ के महानायक और आँखों के नूर परम आदरणीय श्री चंद्रचूर्ण जी जब उस घटना की सुनवाई कर रहे थे तो स्व सुषमा स्वराज की सुपुत्री बासुरी स्वराज ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कुछ ऐसे अकाट्य तथ्य न्याय पटल पर प्रेषित किये की, सम्पूर्ण Ecosystem की सोच पर पड़ा पर्दा धुंवा धुंवा हो गया और वो अपनी खिझ तक ना छुपा सके।
मित्रों वामपंथियों के चश्मेबद्दुर, लिबारंडुओ के दिल के सुकून और कांग्रेसियों के अफलातून हम सबके परम आदरणीय मुख्य न्यायधीश सर्वोच्च न्यायालय मणिपुर की उस घटना को लेकर अत्यधिक उत्तेजित हैँ। मित्रों आप जानते हैँ, फिर भी इस तथ्य से आपको अवगत कराता चलूँ कि, घटना लगभग २ महीने पूर्व घटित हुई थी और अत्यंत सुनियोजित तरिके से मानसून सत्र के शुरु होने के ठीक एक दिन पहले उस घटना का बनाये गये वीडियो के माध्यम से वायरल कर दिया गया।
उस वीडियो को देखते हि, लीब्राण्डूओ, कांग्रेसियों और वामपंथियों के मसीहा परम आदरणीय CJI चंद्रचूर्ण जी अत्यंत आगबबूला हो गये, उत्तेजना में आकर लोकतान्त्रिक व्यवस्था से चुनी सरकार को हि चेतावनी दे दी कि “यदि आप कुछ नहीं करेंगे तो हम करेंगे”!
CJI चंद्रचूर्ण जी की इस बेचैनी, इस परेशानी और इस कदर उत्तेजित भावना का देखकर ऐसा लगा की कंही कालेजियम सिस्टम लोकतंत्र का शिलभंग हि ना कर दे।
मित्रों पश्चिम बंगाल में महिलाओ के साथ हो रही हैवानियत और कत्लेआम पर ना तो CJI चंद्रचूर्ण को बेचैनी हुई और ना वो किसी उत्तेजना का शिकार हुए। इसी प्रकार देश के कई अन्य राज्यों में भी हैवानियत का नँगा नाच हो रहा है, पर परम आदरणीय CJI चंद्रचूर्ण को पता नहीं क्यूं दर्द नहीं हुआ। मणिपुर पिछले दो महीनो से लगातार आतंकियों के निशाने पर था वंहा के एक समुदाय के आतंकियों ने मैतई हिन्दु समाज का जीना दुश्वार कर दिया। उनके घर की स्त्रियों और बच्चियों को घरों से खींचकर सामूहिक बलात्कार कर गिद्धों की तरह नोच नोच कर मार डाला गया, पर किसी को अफ़सोस तक नहीं हुआ।
पर सुनियोजित तरिके से देश का अपमान बड़े पैमाने पर करने हेतु जानबूझकर उस वीडियो को वायरल किया गया, याद रखिये मित्रों:-
१:- घटना दो महिने पूर्व की थी;
२:- वीडियो दो महीने पूर्व बनाई गयी;
३:- वो वीडियो किसी पुलिस अधिकारी को नहीं दिया गया;
४:- वो वीडियो किसी अन्य जांच एजेंसी को नहीं दिया गया;
५:- उसे प्रॉपगेंडा और टुलकिट की भांति उपयोग में लाकर सम्पूर्ण राष्ट्र को अपमानित करने का सुनियोजित और अत्यंत नीचतापूर्ण योजना को अंजाम दिया गया।
“कोई भी व्यक्ति उस घटना को सही नहीं ठहरा सकता, वो घटना अमानवीय और अत्यंत क्रूर थी।”
अब आते हैँ परम आदरणीय CJI चंद्रचूर्ण (जिनके ऊपर टिप्पणी करने के कारण तमिलनाडु की व्यवस्था ने एक आम भारतीय नागरिक को तुरूंगवास में पटक दिया) द्वारा सुनवाई के दौरान हुई बहस पर।
तो मित्रों हमेशा की तरह सनातनीयों के विरोध में खड़ा होने वाला और भारत विरोधियों का केस लड़ने वाला कपिल सिब्बल कुकी समुदाय की पैरवी कर रहा था। उसने न्यायालय के समक्ष २ मांगे रखी:-
१:- मणिपुर की घटनाओ की जाँच CBI द्वारा ना कराई जाए;
२:- इन घटनाओं से संबंधित केस की सुनवाई आसाम में ना कराई जाए!
अब मित्रों प्रश्न ये है कि ६००० मामलो में से CBI तो केवल ७ मामलों की जांच कर रही है, फिर कपिल सिब्बल को CBI से क्या परेशानी हो सकती है। ये कपिल सिब्बल और इसके पक्षकार CBI जाँच से इतना घबराये क्यों है? तो मित्रों इसका एक हि उत्तर है, CBI जाँच करेगी तो सच्चाई बाहर आएगी जो अत्यंत भयानक और विभत्स है और जिसके बाहर आने पर पता चल जायेगा की मणिपुर को जलाने के पीछे किन किन आस्तीन के सापों का हाथ है।
वहीं दूसरी ओर आसाम में सुनवाई होने पर चुड़ैल टिस्ता सितलवाड की भाँती झूठे सबूत झूठे साक्षीदार प्रस्तुत करने का मौका नहीं मिलेगा।
अब आते हैँ एक दूसरे वकील इंद्रा जयसिंह, मित्रों इसके नाम पर मत जाना, ये वही वकील रूपी औरत है, जिसने निर्भया के खूंखार बलात्कारियों को माफ़ करने की सलाह दी थी। प्रश्न ये है कि जो कुछ निर्भया के साथ हुआ वो इसकी बेटी के साथ होता तो क्या ये उस वक्त भी उन खूंखार दरिंदो को क्षमा कर देती। खैर मित्रों ये वकील रूपी औरत एक NGO की तरफ से पैरवी करते तर्क पेश करती है, कि मणिपुर की घटना की जाँच किसी NGO से कराई जाए, जिसमे महिलाये भी सम्मिलित हो।
अब मित्रों सर्वोच्च न्यायालय में इस प्रकार के नमूने तो अक्सर हि मिल जाते हैँ , क्या करे लोकतंत्र जो है। CBI ने एक दो तर्कों से हि इनकी खटिया सरका दी। जब CBI ने पूछा की ये जिस NGO की बात कर रही हैँ, वो ऐसे इलाको में जाकर जाँच कर सकती है, क्या, जंहा पर अत्याधुनिक हथियारों से लैस आतंकी छिपे हुए हैँ और यदि वो आतंकी सामने आ गये तो उन्हें गिरफ्तार करने का अधिकार इनके पास होगा क्या?
CBI के प्रश्नों का उत्तर इस वकील रूपी औरत के पास नहीं था।
अब आते हैँ बासुरी स्वराज के द्वारा प्रेषित तर्क पर जिसने CJI की बांसुरी बजा दी। केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए बासुरी स्वराज ने कहा कि मणिपुर में जिस प्रकार से अमानवीय घटनाएं हुई हैँ, उसी प्रकार की महिलाओं के अस्मिता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करने वाली अति भयानक घटनाएं, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी हुई हैँ, अत: सर्वोच्च न्यायालय मणिपुर की घटनाओं की जाँच के लिए जो मापड़ंड अपनायेगा वही मापदंड पश्चिम बंगाल, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी अपनाये जाने चाहिए।
इतना सुनते हि, पूरे न्यायालय परिसर में सन्नाटा छा गया और उस सन्नाटे में केवल बासुरी स्वराज की बासुरी हि सुनाई दे रही थी। और फिर इस सन्नाटे को चिरती हुई परम आदरणीय CJI की खिझ भरी आवाज सुनाई दी ” जो इस लेख का हिस्सा बनाने के लायक़ नहीं है”!
मित्रों क्या कालोजियम सिस्टम लोकतंत्र को चुनौती दे सकता है?
खैर बासुरी स्वराज ने ऐसी बासुरी बजायी की सब इसके धुन पर अभी तक थिरक रहे हैँ, क्योंकि प्रशासन चाहे पश्चिम बंगाल का हो या राजस्थान का या फिर छत्तीसगढ़ का सबका हलक सुख गया है कि आखिर क्या फैसला करेंगे परम आदरणीय मुख्य न्यायधीश सर्वोच्च न्यायालय ।
लेखक:- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)