तुम्हें क्रिकेट में पाकिस्तान को हराना है और BCCI को पैसे कमाना है। तुम्हें खेल का रोमांच चाहिए BCCI को अपना पैसे वाला रुतबा चाहिए। तुम पाकिस्तान को हरा कर खुश हो BCCI पैसे कमा कर खुश है।
परन्तु तुमने क्या तनिक भी सोचा है, की तुम्हारी ये खुुशी और BCCI के झोली में बरस रहे पैसे किसी के बेटे, किसी के भाई, किसी के पति और किसी के बुढ़ापे के सहारे के खुन से सने है।
तुमने जितने समय भी पाकिस्तान के साथ मैच खेला, उतने समय तक तुमने एक आतंकवादी देश को “क्रिकेट खेलने वाले देश के रूप में देखने के लिए विश्व को विवश कर दिया”! अरे कमबख्तों तुम जीत कर भी हार गये वो हार कर भी जीत गये।
ISI और पाकिस्तानी फ़ौज को इससे कोई सरोकार नही की पाकिस्तान क्रिकेट में हारा या जिता, उन्हें तो बस उतने समय से मतलब है जितने समय ये क्रिकेट खेला जाता है और उनके आतंकवाद से लोगों का ध्यान हट जाता है।
हाफिज सइद, दाऊद इब्राहिम, सलाहुद्दीन, लखवी, मौलाना मसूद अजहर जैसे अनगिनत खूंखार अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादियों को पनाह देने वाले , कभी पुलवामा, कभी उरी और अब नया जख्म देने वाला आतंकवादी मुल्क पाकिस्तान तुम्हे क्रिकेट खेलने के लिए चाहिए, टकी तुम उन्हें हराकर खुश हो सको, तो जाओ जरा:-
१:- उस मां को भी अपनी खुशी में शामिल कर लो, जिसके बेटे को कल आतंकियों ने बलिदान ले लिया;
२:- उस बहन को भी अपनी खुशी में शामिल कर लो, जिसके भाई का आतंकियों ने बलिदान ले लिया;
३:- उस नारी को अपने खुशी में शामिल कर लो, जिसके पति का आतंकियों ने लहुपान किया और
४:- जाओ उस मां बाप को अपनी खुशी में शामिल कर लो, जिनके बुढ़ापे के सहारे का बलिदान इन आतंकियों ने ले लिया।
क्या तुम उन्हें अपनी खुशी में शामिल ना करोगे।
तुम्हें क्या फर्क पड़ता है, देश के कितने भी वीर जवान अपना बलिदान दे दे, तुम्हारे लिए तो वो सैनिक बनते हि हैँ अपना बलिदान देने के लिए, खैर वो आतंकी कितना भी हमारे देश के जवानों का खुन बहाये, पर तुम क्रिकेट खेलते रहना।
अरे वो तो मां भारती के वीर और निर्भीक सैनिक थे:-
“कर्नल मनप्रीत सिंह ने बुधवार को सुबह ६:४५ बजे आखिरी बार अपने परिवार के सदस्यों से बात की थी! उन्होंने कहा था- ‘फिर वापस फोन करेंगे’… लेकिन अब कर्नल का फोन कभी नहीं आएगा!पिछले साल उन्हें उनकी ड्यूटी के लिए सेना मेडल से सम्मानित किया गया था।कर्नल सिंह, १९ राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर थे!
पर तुम्हें क्या तुम आतंकवादी देश के साथ क्रिकेट खेलो।
“जम्मू-कश्मीर में अनंतनाग जिले के कोकेरनाग के ऊंचाई वाले क्षेत्र में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के एक कर्नल, एक मेजर समेत तीन सैन्यकर्मी और जम्मू कश्मीर पुलिस के एक उपाधीक्षक ने अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया, जबकि एक जवान लापता है। बलिदानी जवानों के परिवारों के पास अब सिर्फ यादें रह गई हैं।”
पर तुम्हें क्या तुम अपना क्रिकेट खेलो और खुशियां बटोरो।
३४ वर्षीय मेजर आशीष धोनैक के परिवार में उनकी पत्नी और दो साल की बेटी है, जो हरियाणा के पानीपत में रहते हैं! मेजर धोनैक के चाचा ने मीडिया को बताया, “आखिरी बार उनसे टेलीफोन पर बात हुई थी. वह डेढ़ महीने पहले घर आए थे. वह घर बदलने के लिए अक्टूबर में फिर वापस आने वाले थे, लेकिन अब….” निशब्द……
पर तुम्हें क्या तुम क्रिकेट खेलो और आनंद मनाओ।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के उपाधीक्षक हुमायूं भट्ट, जम्मू-कश्मीर पुलिस के सेवानिवृत्त महानिरीक्षक गुलाम हसन भट्ट के बेटे थे और काफी खून बहने के कारण उनकी मृत्यु हो गई. भट्ट और उनकी पत्नी ने एक महीने पहले ही एक बेटे का स्वागत किया था। अब उस नौनिहाल को उसके अपने पिता के दर्शन कभी नहीं होंगे……
पर तुम क्रिकेट खेलते रहना।
पुलिस अधिकारी और दो सैन्य अधिकारियों के पार्थिव शरीर अनंतनाग के कोकेरनाग इलाके के जंगलों से बरामद किए गए।
पर कसम है तुम्हें तुम्हारी खुशी और आनंद की अपना क्रिकेट मत छोड़ना, उस आतंकवादी देश के साथ खेलते रहना।
जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में एक परिवार, भारतीय सेना में शामिल जवान की शादी की तैयारी कर रहा था, लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। जिस जवान की दिसंबर में शादी होने वाली थी, उस बहादुर ने राजौरी जिले में आतंकवादियों से लड़ते हुए अपना बलिदान दे दिया. इस भारतीय सपूत का नाम था रवि कुमार राणा और वह सेना में राइफलमैन थे।
पर तुम अपना क्रिकेट खेलना जारी रखना।
मेरी समझ में नहीं आता ये गुलामों के खेल में इतनी खुशी कोई कैसे प्रपत कर सकता है, क्रिकेट अंग्रेजों का खेल था और अंग्रेजों के गुलाम आज भी क्रिकेट खेल रहे हैँ और खुश हो रहे हैँ।
आपको बताते चलें कि सुरक्षा बलों पर हुए हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की शाखा ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली है। हमले की जिम्मेदारी लेते हुए उसने कहा कि इस महीने की शुरुआत में पीओके में उसके कमांडर रियाज अहमद (Riyaz Ahmad) की हत्या हुई थी, ये उसी का बदला है। हालांकि अभी भी अनंतनाग में सुरक्षा बलों का एंटी-टेरर ऑपरेशन जारी है।
गैरोल गांव में छिपे आतंकी पाकिस्तान के रहने वाले हैं। एक की पहचान ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) के कमांडर बासित डार तो दूसरे की लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी उजैर खान के तौर पर हुई है। प्रतिबंधित रेजिस्टेंस फ्रंट को पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा आतंकी संगठन माना जाता है।
द रेजिस्टेंस फ्रंट जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा की भारत में एक ईकाई है। अगस्त 2019 में 370 हटने के बाद पाकिस्तान की मदद से लश्कर ए तैयबा ने इस आतंकी संगठन को जम्मू कश्मीर में लॉन्च किया. सबसे पहले इसे ऑनलाइन माध्यम से प्रमोट किया गया उसके बाद वादी में पहले से ही मौजूद तहरीक-ए-मिल्लत इस्लामिया और गजनवी हिंद सहित विभिन्न संगठनों ने घाटी में इसका नेटवर्क बनाने में मदद की।
और ये आतंकी संगठन जख्म पर जख्म दिये जा रहा है। पर तुम्हें क्या तुम अपना क्रिकेट एक आतंकवादी देश के साथ खेलते रहना और उसे मजबूत करते रहना ताकि वो तुम्हारे पैसे के बल पर भारतवर्ष को ऐसे हि घिनौने जख्म देता रहे।
अरे जब बातचीत और आतंकवाद जब साथ साथ नहीं हो सकते तो करमजलो आतंकवाद और क्रिकेट साथ साथ कैसे हो सकता है। क्या तुमने पैसे के आगे शर्म लिहाज सब बेच दिया और बेच दिया हमारे देश के जवानों के बलिदान को, धिक्कार है ऐसे पैसे पर….
एक ओर हमारे देश की जनता अपने देश के जवानों के लिए कुछ भी करने को तैयार हैँ, वही हमारे जवान मां भारती के लिए हर पल सांस लेते हैँ और सांस छोड़ते हैँ, और एक तुम हो जो जनता की भावना और जवानों के बलिदान से खेलते हो “मैदान के अंदर भी और मैदान के बाहर भी”!
हम इन मां भारती के महान सपूतों को अपना शिश नवां कर कोटी कोटी वंदना करते हैँ। आपका यह बलिदान ये देश और यंहा की जनता जनार्दन कभी नहीं भूलेंगे। आप हमारे दिलों में पीढ़ी दर पीढ़ी सदैव जिंदा रहेंगे।
भारत के वादियों में बसते रहोगे तुम
देशभक्ति की बयार में बहते बहोगे तुम
हमारे हृदय की हर धड़कन ऋणी है तुम्हारी
हमारे हर भाव में जिंदा रहोगे तुम।।
जय जवान जय किसान
जय हिंद की सेना।
जय मां भारती