मित्रों आज हम इस लेख में कट्टर ईमानदार और क्रांतिकारी शिक्षा मंत्री आदरणीय श्री मनीष सिसोदिया जी के विषय में चर्चा और परिचर्चा करेंगे।
मित्रों शिक्षा के विषय में हमारे शास्त्र कहते हैँ:-
विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्। पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम्॥
विद्या विनय देती है; विनय से पात्रता, पात्रता से धन, धन से धर्म, और धर्म से सुख प्राप्त होता है। अर्थात भौतिक, सांसारिक और अध्यात्मिक सुख का माध्यम ये विद्यार्जन या शिक्षा हि है।
इसी प्रकार मित्रों स्वास्थ्य के विषय में हमारे शास्त्र कहते हैँ:-
व्यायामात् लभते स्वास्थ्यं दीर्घायुष्यं बलं सुखं। आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्॥
व्यायाम से स्वास्थ्य, लंबी आयु, शक्ति और प्रसन्नता प्राप्त होती है। स्वस्थ रहना परम नियति है और अन्य सभी कार्य स्वास्थ्य द्वारा सिद्ध होते हैं। अर्थात एक स्वस्थ मनुष्य हि समस्त सुखो का उपभोग कर सकता है, यादी आप मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ हैँ तो कोई भी लक्ष्य आपके लिए असाध्य नहीं।
मित्रों हमारे शास्त्रों ने मदिरा अर्थात शराब के विषय में भी कुछ कहते हैँ:-
हृत्सु पीतासो युध्यन्ते दुर्मदासो न सुरायाम्”
अर्थात सुरापान करने या नशीले पदार्थों को पीने वाले अक्सर युद्ध, मार-पिटाई या उत्पात मचाया करते हैं।
अब आइये हम मनीष सिसोदिया जी के बारे में थोड़ी सी जानकारी प्राप्त कर ले।
मनीष सिसोदिया का जन्म उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के फगौता गांव के एक हिंदू परिवार में दिनांक ५ जनवरी १९७२ को हुआ था । इनके पिताजी एक पब्लिक स्कूल में शिक्षक थे, इन्होंने अपने गाँव के सरकारी स्कूल में दाखिला लिया और प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त कर लेने के पश्चात पत्रकारिता में डिप्लोमा पूरा करने के बाद एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया,और फिर वर्ष १९९७ से वर्ष २००५ के बीच एक रिपोर्टर, समाचार निर्माता और समाचार पाठक के रूप में ज़ी न्यूज़ के लिए काम किया।
अरविन्द केजरीवाल से मित्रता:-
पत्रकारिता के दौरान हि मनीष सिसोदिया की मुलाक़ात श्री अरविन्द केजरीवाल से हुई और फिर उन्होंने पत्रकारिता छोड़ने के पश्चात, केजरीवाल के साथ मिलकर एक “कबीर’ नामक गैर लाभकारी गैर सरकारी संगठन की स्थापना की। आपको बताते चले कि श्री अरविन्द केजरीवाल जी ने स्वयं स्वीकार किया की उनके “कबीर” नामक संगठन को जार्ज सोरोस नामक अमेरिकन व्यवसायी से फंड मिलता था, मित्रो ये वाही जार्ज सोरोस है, जिसने भारत की अर्थव्यवस्था को चौपट करने और माफी सरकार को गिराकर कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए १ बिलियन डालर खर्च करने की बात कही है।
यह जार्ज सोरोस भारत के उन सभी NGO को अपने Ford Foundation और Open Society Foundation से फंडिंग करता है, जो भारत विरोधी गतिविधियों में संलग्न रहते हैँ, तो आप स्वयं समझ सकते हैँ कि फिर “कबीर” को पैसे देर के पीछे क्या उद्देश्य हो सकता है।यही नहीं मनीष जी, श्री अरविन्द केजरीवाल के साथ ‘सार्वजनिक हित अनुसन्धान फाउण्डेशन’ (Public Cause Research Foundation) नामक गैर सरकारी संगठन के सह-संस्थापक भी हैं। वे ‘अपना पन्ना’ नामक हिन्दी मासिक पत्र के सम्पादक हैं।
अन्ना हजारे का आंदोलन:-
मित्रों वर्ष २०११ तक दिल्ली हि नहीं पुरा देश कांग्रेस के लूटपाट और भ्र्ष्टाचार से त्राहि त्राहि कर रहा था उस पर से फिल्ली में हुए कमानवेल्थ खेल घोटाले ने जन आक्रोश का सैलाब ला दिया। इसी भ्र्ष्टाचार के विरुद्ध और लोकपाल बिल की मांग को लेकर महाराष्ट्र के अन्ना हजारे ने दिल्ली में एक धरना प्रदर्शन और भूख हड़ताल भी किया। यही से अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने मिलकर दिल्ली के सत्ता पर बैठने का ताना बाना तैयार कर लिया। वो पूरे तन और मन से इस आंदोलन में कुड़ पड़े और सही मौका देखते हि एक “आम आदमी पार्टी” की रचनाकर दिल्ली की सत्ता को हथियाने का कार्यक्रम शुरु किया और अंतत: सर्वप्रथम जिस कांग्रेस के भ्र्ष्टाचार के विरुद्ध उन्होंने आंदोलन शुतु किया था उसी कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली।वह आम आदमी पार्टी (आप) की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य हैं और आप के संस्थापक सदस्य भी हैं।
मित्रों आपको याद होगा की पहली बार जीतकर जब अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने दिल्ली में कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनायीं तो पुराने भ्र्ष्टों का नये भ्र्ष्टों के साथ यह मेल ज्यादा लम्बा नहीं चला। अत:पहली सरकार जो आम आदमी पार्टी ने बनायीं वो गिर गयी और फिर से मध्यवाधि विधानसभा के चुनाव हुआ, जिसमे आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी प्रती के रूप में सामने आयी और दिल्ली में उन्होंने बहुमत के आधार पर सरकार बना ली।मनीष सिसोदिया जी को पार्टी ने २०१३ के दिल्ली विधान सभा चुनाव के लिए पटपड़गंज विधान सभा क्षेत्र का उम्मीदवार बनाया और् इस चुनाव में वे विजयी रहे।
मनीष सिसोदिया जी दिनांक १४ फरवरी २०१५ से २८ फरवरी २०२३ ई तक लगातार दिल्ली के उपमुख्यमंत्री रहे और इनके पास, शिक्षा, स्वास्थ्य और अबकारी (शराब) विभाग सहित कुल १८ विभाग रहे! इसके अतिरिक्त वो सभी विभाग भी इन्ही के हाथों में थे जो किसी अन्य मंत्री को नहीं दिये गये थे।
अब आइये शिक्षा मंत्री के रूप में इनके कार्य को देख लेते हैँ।
मित्रों आपको याद होगा कि जून २०२२ में मनीष सिसोदिया के विरुद्ध स्कूलों और कक्षाओं के निर्माण को लेकर दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) में शिकायत दर्ज कराई गई थी। जुलाई २०२२ में भ्रष्टाचार निरोधक प्राधिकरण दिल्ली लोकायुक्त भी जांच कर रहा है। आइये देखते हैँ पुरा मामला क्या है:-
:-मित्रों शिक्षा मंत्रालय का कार्यभार हाथ में आते हि मनीष सिसोदिया जी ने क्रांतिकारी कदम उठाना शुरु कर दिया। सर्वप्रथम उन्होंने सर्वें कराकर यह पता लगाया की स्कूलों में बच्चों को बैठने के लिए पर्याप्त कक्षाओं की व्यवस्था है नहीं
:- मित्रो इस सर्वें से ज्ञात हुआ कि दिल्ली के १९३ स्कूलों में करीब २४०५ अतिरिक्त कक्षाओं की आवश्यकता है। अत: लोक कल्याण विभाग (PWD) को उन कक्षाओ के निर्माण का निर्देश दिया गया। विदित हो की PWD और वित्त मंत्रालय भी आदरणीय मनीष सिसोदिया जी के पास हि था।
:- लोक निर्माण विभाग (PWD) ने भी सोचा, क्यों ना हम भी एक सर्वें करा ले। और जब इन्होंने सर्वें कराया तो पता चला कि दिल्ली के १९४ स्कूलों में कुल ७१८० कक्षाओं (ECR अर्थात Equivalent Class Room) की आवश्यकता है, जो की पहले के सर्वेक्षण से तिन गुना अधिक संख्या बतलाती है।
:- इसके पश्चात मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष शिशोदिया के आदेश पर युद्धस्तर पर कार्य आरम्भ कर दिया गया और कक्षाए तैयार होने लगी और इधर श्री मनीष सिसोदिया जी एक क्रांतिकारी शिक्षक के रूप में प्रचारित किये जाने लगे।
:- पर Central Vigilance Commission (CVC) अपना कार्य करती रही और दिनांक १७ फरवरी २०२० को एक रिपोर्ट तैयार करके करीब १३०० करोड़ रुपये के घोटाले का PWD पर आरोप लगाते हुए दिल्ली के Vigilance Department अर्थात सतर्कता विभाग को यह रिपोर्ट सौप कर उनकी टिप्पणी मांगी।
:- अब मित्रो सतर्कता विभाग अर्थात Vigilance Department भी सिसोदिया जी के हि हाथ में था अत: CVC की यह रिपोर्ट पूरे ढाई वर्ष तक दबा के रखी गयी।
:-इसके बाद अगस्त २०२२ में दिल्ली के LG (उप राजयपाल) ने मुख्य सचिव को निर्देश देकर इस २.५ बर्ष कि की गयी देरी की जांच करके रिपोर्ट देने को कहा।
:- दिल्ली के मुख्य सचिव द्वारा जाँच की बात सुन, सतर्कता विभाग जाग उठा और उसने CVC की रिपोर्ट पर अपनी मुहर लगाते हुए स्वीकार किया कि जम के घोटाला हुआ है।दिल्ली सरकार के विजिलेंस डिपार्टमेंट (DoV) ने मुख्य सचिव को अपनी रिपोर्ट सौपते हुए दावा किया कि राजधानी के १९३ सरकारी स्कूलों में २४०५ कक्षाओ के निर्माण के दौरान जमकर भ्रष्टाचार किया गया।
DoV की रिपोर्ट में क्या बताया गया:-
१:- टेंडर प्रोसेस में उलटफेर करने के लिए नियमों का उल्लंघन हुआ।
२:- बेहतर सुविधाएं बढ़ाने के नाम पर 205.45 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च किया गया।
३:-गैर संवैधानिक एजेंसियां/व्यक्ति (जैसे मैसर्स बब्बर एंड बब्बर एसोसिएट्स) प्रसाशन चला रहे थे और सरकारी अधिकारियों के लिए नियम और शर्तें बना रहे थे और फिर दिल्ली का पुरा प्रशासन इन नियमों का पालन करवा रहा था।
:-बेहतर सुविधाओं के नाम पर कंस्ट्रक्शन कॉस्ट ९०% तक बढ़ाई गई। दिल्ली सरकार ने बिना टेंडर के ५०० करोड़ रुपए की बढ़ोतरी को मंजूरी भी दे दी।
:- जीएफआर Manual अर्थात Manual for the Procurement of Goods के नियमों अछूत माना गया।
:-सीपीडब्ल्यूडी वर्क्स मैनुअल( CENTRAL PUBLIC WORKS DEPARTMENT) का जमकर उल्लंघन करते हुए घटिया क्वालिटी का अधूरा काम किया गया।
:-१९४ स्कूलों में १६० टॉयलेट्स बनाए जाने थे, लेकिन ३७ करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करके १२१४ टॉयलेट बनाए दिये गये।
:- इन १२१४ टॉयलेट को Class-Room बताया गया।
:-इस प्रोजेक्ट के लिए शुरु में कुल ९८९.२६ करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, जबकी टेंडर की वैल्यू ८६०.६३ करोड़ रुपये थी।
:- प्रोजेक्ट में कुल १३१५.५७ करोड़ रुपए खर्च हुए।
:-कोई नया टेंडर दिए बिना अतिरिक्त कार्य किया जा रहा था, जिसके परिणामस्वरूप इस प्रोजेक्ट की कीमत ३२६.२५ करोड़ रुपए तक बढ़ गई, जो टेंडर के लिए सेंक्शन अमाउंट से ५३% ज्यादा है।
:- प्रोजेक्ट की कीमत तो ५३% बढ़ गयी परन्तु Class -Room केवल ४०२७ हि बनाये गये।
अब इस प्रकार देखें तो शिक्षा विभाग, PWD और वित्त मंत्रालय अभी इस घोटाले में डुबकी लगा हि रहा था कि शराब घोटाले कि नई पृष्ठभूमि तैयार हो गयी। मित्रों आपको ज्ञात होगा कि अभी कुछ दिन पूर्व हि दिल्ली के शिक्षकों को “फिनलैंड” भेजकर भारतीय बच्चों को कैसे शिक्षा दे इसका प्रशिक्षण लेने के लिए मनीष सिसोदिया जी द्वारा प्रेषित फाईल को मंजूरी देने से उप राज्यपाल जी ने मना कर दिया। अब मित्रों अब यह समझ से परे है की मनीष सिसोदिया जैसा क्रांतिकारी शिक्षक होने के बावजूद भी दिल्ली के शिक्षक फिनलैंड वालों से क्या सीखना चाहते थे। अत: संभव है की एक और घोटाला होते होते रह गया।
मित्रों हमारे शास्त्र शिक्षक अर्थात गुरु के बारे में निम्न विचार प्रस्तुत करते हैँ:-
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।
अर्थात गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु हि साक्षात् परब्रह्म है, उन सद्गुरु को प्रणाम करता हूँ। अब सोंचने वाली बात ये है कि क्या मनीष सिसोदिया या फिर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव के बारे में ऐसा सोचा जा सकता है। मित्रों इस अंक में शिक्षा के क्षेत्र में अद्भुत योगदान को हमने देखा अब अगले अंक में हम आबकारी (शराब) के क्षेत्र में सिसोदिया जी के क्रन्तिकारी योगदान पर चर्चा और परिचर्चा करेंगे।