जी हाँ मित्रों ११ जुलाई का दिन इन वामपंथी तथाकथित उदारवादी, कांग्रेसी और अन्य लीब्राण्डू समूहों के लिए बड़ी खुशी का दिन था। सारे भ्र्ष्टाचारी अपनी खुशी को पचा हि नहीं पा रहे थे, उछाल उछाल कर अपनी खुशियां लोगों को बता रहे थे।
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर हर वक्त मोदी को कोसने वाले और अपने संस्कारों के अनुसार अपशब्द बोलने वाले ये लोग आखिर खुश कैसे हो गये, इस खुशी के पीछे राज क्या था?
तो मित्रों इनकी खुशी का राज सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश में छिपा था, जिसमे उसने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक श्री संजय मिश्रा जी के कार्यकाल को ३१ जुलाई तक सिमित कर दिया।
जी हाँ, सर्वोच्च न्यायालय की जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और संजय करोल की पीठ ने माना कि मिश्रा को दिया गया विस्तार सर्वोच्च न्यायालय की एक खंडपीठ द्वारा वर्ष २०२१ के फैसले के विपरीत था, जिसमें अदालत ने नवंबर २०२१ से आगे विस्तार पर रोक लगा दी थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने श्री संजय मिश्रा जी के कार्यकाल के विस्तार को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, “कॉमन कॉज़ फैसले में, एक विशिष्ट परमादेश था और यह निर्देश दिया गया था कि आगे कोई विस्तार नहीं होना चाहिए। इस प्रकार, आदेश के बाद दिया गया विस्तार विधि की दृष्टि में अमान्य था।” हालांकि, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस साल फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा की जा रही सहकर्मी समीक्षा और सुचारु परिवर्तन को सक्षम करने के मद्देनजर मिश्रा ३१ जुलाई तक अपने पद पर बने रह सकते हैं।
आपको बताते चलें कि सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक का कार्यकाल अधिकतम पांच साल तक बढ़ाने के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम में संशोधन की पुष्टि की।
आदरणीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, “हमने पाया है कि विधायिका सक्षम है, किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं किया गया है और कोई स्पष्ट मनमानी नहीं है… सार्वजनिक हित में और लिखित कारणों के साथ ऐसे उच्च स्तरीय अधिकारियों के कार्यकाल को विस्तार दिया जा सकता है।”
मित्रों बस यही आदेश जिसमें कार्यकाल को केवल ३१ जुलाई तक सिमित कर दिया गया, इसी ने इन्हें इतना खुश कर दिया की बस आप इनके दिनांक ११ जुलाई २०२३ के ट्वीट देख लो पता चल जायेगा, कुछ ट्वीट जिसमें पश्चिम बंगाल के दीदी की चहेती महुआ मित्रा, बिना समर्थको का बिना जनता का नेता रणदीप सुरजेवाला, बिहार के विनोद झा, केरल कांग्रेस के अध्यक्ष वेणुगोपाल और तो और कांग्रेस से शिवसेना में गई प्रियंका चतुर्वेदी भी सम्मिलित है। ये सभी इसे अपनी victory बता रहे हैँ और भाजपा को चुनौती दे रहे हैँ।
परन्तु मित्रो भाजपा वाले भी गजब हैँ इन लोगों को इन लीब्राण्डू ब्रिगेड की खुशी बर्दास्त नहीं हुई और फिर ये एक याचिका लेकर सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गये। और सर्वोच्च न्यायालय ने २६-२७ जुलाई २०२३ को केंद्र सरकार को राहत देते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने के लिए अपनी मंजूरी दे दी। संजय मिश्रा अब १५ सितंबर तक ईडी डायरेक्टर के पद पर रह सकेंगे! कोर्ट ने कहा कि यह फैसला ‘राष्ट्र हित’ में लिया जा रहा है!
अब मित्रों जो लोग ११ जुलाई को खुशियाँ मना रहे थे अब उनके चेहरे पर मातम छा गया। और इस मातम को लीब्राण्डू पत्रकार अब यूट्यूबर श्रीमान पुण्य प्रसून वाजपेयी ने किस प्रकार बयान किया है , वो आप देख लें । उन्होंने एक वीडियो बनाकर यूट्यूब पर अपलोड किया है ये कहते हुए कि ” ED चीफ को बचाने पहुंची सरकार , I.N.D.I.A. को तोड़ने की प्लानिंग तैयार” तैयार रहिये १० बड़े नेता जेल जाने वाले हैँ।
अब प्रश्न ये है मित्रों की क्या ४० से ४५ दिनों के अंदर वास्तव में १० बड़े नेता जेल जाने वाले हैँ। पुण्य प्रसून वाजपेयी की माने तो ये वो नेता हैँ, जो जेल में डाले जा सकते हैँ:-
१:- तेजस्वी यादव (लैंड फॉर जाब)
२:- डी के शिवकुमार (मनी लौंड्रिंग)
३:-राजस्थान के CM के भाई अग्रसेन गहलोत;
४:- अभिषेक बनर्जी (कोयला खनन घोटाला)
५:- हरियाणा के वरिष्ठ कांग्रेसी हुड़्डा (मनी लौंड्रिंग)
६:- छतीसगढ़ के CM भूपेश बघेल;
७:-फारुख अब्दुल्ला (मनी लौंड्रिंग)
८:- अरविन्द केजरीवाल (शिशमहल)
९:- महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे के साले साहेब
१०:- एक बुजुर्ग नेता (महाराष्ट्र से)
अब प्रश्न ये है कि, पुण्य प्रसून वाजपेयी को कैसे पता चला कि ये सभी नेता अगले ४० से ४५ दिनों में जेल की सलाखों के पीछे होंगे। मित्रों केवल यही एक लीब्राण्डू (पत्रकार से यूट्यूबर बने महाशय) नहीं है, अपितु ऐसे बहुत सारे हैँ, जिनके चेहरों पर
हवाइयाँ उड़ रही हैँ।
खैर कुछ बाते श्री संजय कुमार मिश्रा जी के बारे में बताते चलें,
मिश्रा जी को पहली बार नवंबर २०१८ में दो साल के कार्यकाल के लिए प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था। यह कार्यकाल नवंबर २०२० में समाप्त हो गया। मई २०२० में, वह ६० वर्ष की सेवानिवृत्ति की आयु तक पहुंच गए।
हालाँकि, १३ नवंबर, २०२० को केंद्र सरकार ने एक कार्यालय आदेश जारी किया जिसमें कहा गया कि राष्ट्रपति ने २०१८ के आदेश को संशोधित किया था और ‘दो साल’ की अवधि को ‘तीन साल’ की अवधि में बदल दिया। इस आदेश को एक एनजीओ कॉमन कॉज ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने सितंबर २०२१ के आदेश में किये गये उक्त संशोधन को मंजूरी दे दी लेकिन मिश्रा को और विस्तार देने के विरुद्ध फैसला सुनाया था, परन्तु देशहित को ध्यान में रखते हुए संजय कुमार मिश्रा जी को १५ सितम्बर के लिए अपने पद पर बने रहने की मंजूरी दे दी।
खैर मित्रों सारे भ्र्ष्टाचारी घबड़ाए हुए हैँ कि कब किसका नंबर आ जायेगा, कब किसको उसके कुकर्मो की सजा मिलेगी ये कोई नहीं जानता, यदि जानता है तो बस एक शख्श और वो हैँ श्री संजय कुमार मिश्रा।
जय हिंद