तमिलनाडु के 45 इलाकों में ‘राष्ट्रोय स्वयंसेवक संघ (RSS)’ ने रविवार (16 अप्रैल, 2023) को भव्य रोडशो आयोजित किया। बता दें कि इससे पहले राज्य में मुख्यमंत्री MK स्टालिन की सरकार ने RSS के आयोजन पर रोक लगा दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रोडशो का रास्ता साफ हुआ। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। रोडशो के लिए रूट पहले से तय था। स्वयंसेवकों के हाथों में ड्रम और लाठियाँ भी थी, जिनका परेड में सामान्यतः इस्तेमाल किया जाता रहा है।
चेन्नई, वेल्लोर, होसुर, सालेम, चेंगलपट्टू, कांचीपुरम, तिरुवन्नामलाई, अरानी, कोयम्बटूर, मेट्टूपलायम, पल्लादम, करूर, टेंकसी, कन्याकुमारी, तिरूचुपल्ली और मदुरै – ये वो प्रमुख इलाके हैं, जहाँ RSS के मार्च का आयोजन किया गया। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के कोरत्तूर इलाके में भी रैली आयोजित हुई, जिसमें केंद्रीय मत्स्य पालन एवं पशुपालन राज्यमंत्री डीएल मुरुगन भी शामिल हुए। इसके बाद उन्होंने एक विशाल जनसभा को भी संबोधित किया।
बता दें कि रैली के आयोजन के लिए RSS को तमिलनाडु की DMK सरकार से लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। पहले मद्रास हाईकोर्ट ने और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार के खिलाफ और RSS के पक्ष में फैसला सुनाया। राज्य सरकार का तर्क था कि RSS की रैलियों से अस्थिरता फैलेगी और इनका प्रबंधन मुश्किल हो जाएगा। मद्रास हाईकोर्ट ने बंद परिसरों में रैली के आयोजन का सुझाव दिया, इसके बावजूद एमके स्टालिन की सरकार अड़ी रही।
स्टालिन सरकार ने रोकने का बहुत प्रयास किया पर वो सफल नहीं हो पाए और आज तमिलनाडु में 45 स्थानों पर RSS की भव्य परेड आयोजित हुई।
भारत माता की जय! 🚩#RSS4Nation #RSS_Route_March pic.twitter.com/7UXf2bY5Ua
— Vikram Goud (@VikramGoudBJP) April 16, 2023
हालाँकि, RSS को न्यायालय ने निर्देश दिया था कि इसकी रैलियों में बाँस के डंडों का इस्तेमाल न किया जाए। अक्टूबर 2022 से ही संगठन इसके लिए अनुरोध कर रहा था, लेकिन इसकी अनुमति नहीं दी जा रही थी। तमिलनाडु में भाजपा अब तक मुख्य विपक्षी पार्टी भी नहीं बन पाई है, ऐसे में यहाँ अपने चुनावी प्रदर्शन में सुधार के लिए पार्टी लगातार लगी हुई है। प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई के नेतृत्व में पार्टी कैडर सक्रिय है और लगातार जमीन पर काम कर रहा है।