By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
  • भारत
    • देश-समाज
    • राज्य
      • दिल्ली NCR
      • पंजाब
      • यूपी
      • राजस्थान
  • राजनीति
    • राजनीति
    • रिपोर्ट
    • राष्ट्रीय सुरक्षा
  • मनोरंजन
    • वेब स्टोरीज
    • बॉलीवुड TV ख़बरें
  • विविध
    • विविध विषय
    • धर्म संस्कृति
    • भारत की बात
    • बिजनेस
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी
  • सोशल
Reading: ऐसे हिन्दुओं के धर्मांतरण और गरीबी का बड़ा कारण बना औरंगजेब का जज़िया News To Nation
Share
Notification Show More
Aa
Aa
  • भारत
  • राजनीति
  • मनोरंजन
  • विविध
  • सोशल
  • भारत
    • देश-समाज
    • राज्य
  • राजनीति
    • राजनीति
    • रिपोर्ट
    • राष्ट्रीय सुरक्षा
  • मनोरंजन
    • वेब स्टोरीज
    • बॉलीवुड TV ख़बरें
  • विविध
    • विविध विषय
    • धर्म संस्कृति
    • भारत की बात
    • बिजनेस
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी
  • सोशल
Have an existing account? Sign In
Follow US
  • भारत
  • राजनीति
  • मनोरंजन
  • विविध
  • सोशल
© 2023 Saffron Sleuth Media. All Rights Reserved.
भारत की बात

ऐसे हिन्दुओं के धर्मांतरण और गरीबी का बड़ा कारण बना औरंगजेब का जज़िया News To Nation

NTN Staff
Last updated: 2023/04/02 at 7:22 PM
NTN Staff 2 years ago
Share
SHARE

भारत में इस्लामी शासनकाल में हिन्दुओं पर अत्याचार किसी से छिपी बात नहीं है, भले ही वामपंथी इतिहासकारों ने इस पर कितना ही पर्दा डालने की कोशिश की हो। इसी तरह अंतिम शक्तिशाली मुग़ल बादशाह औरंगजेब के काल में न सिर्फ हिन्दुओं को मारा-काटा गया और मंदिर तोड़े गए, बल्कि उन पर जज़िया टैक्स भी लगाया गया। अमीर से लेकर गरीब हिन्दुओं तक को जज़िया कर देना होता था। इससे हिन्दू और ज्यादा गरीब होते चले गए।

इतिहासकारों की मानें तो मुग़ल काल में हिन्दुओं को जानवरों से लेकर पेड़ तक पर टैक्स देना होता था। मुग़ल बादशाह अकबर के समय शादियों पर भी टैक्स लगते थे। पेड़-पौधों पर भी टैक्स लगाए जाते थे, जो अकबर और जहाँगीर के समय हटा दिया गया लेकिन उसके बाद फिर जारी रहा। कहा जाता है कि अकबर ने जज़िया कर हटा दिया था। हालाँकि, औरंगजेब के समय इसे फिर से हिन्दुओं पर लगा दिया। मुस्लिमों को जज़िया नहीं देना होता था।

जज़िया कर लेने के लिए हिन्दुओं को 3 हिस्सों में बाँटा गया था। सबसे ऊपर अमीरों को रखा गया था, जिनकी आय साल में 2500 रुपए से ज्यादा थी। उन्हें 48 दिरहम कर के रूप में देने होते थे। रुपए में देखें तो ये कुल 13 रुपया बनता था। इसी तरह, दूसरे वर्ग में माध्यम वर्ग को रखा गया था। इस समूह में उन लोगों को रखा गया था, जिनकी वार्षिक आय 250 रुपए थी। उन्हें 24 दिरहम टैक्स के रूप में देने पड़ते थे। रुपए में ये 6.5 रुपया बैठता है।

अब आते हैं गरीब वर्ग पर, जिस पर जज़िया कर की सबसे ज्यादा मार पड़ी थी। गरीबों में ऐसे लोगों को रखा गया था, जिनकी वार्षिक आय 52 रुपए या इससे कम हो। उन्हें 12 दिरहम, अर्थात 3.25 रुपए टैक्स के रूप में देने पड़ते थे। इस तरह इन आँकड़ों के आधार पर गणना करें तो अमीरों को 0.52%, माध्यम वर्ग के हिन्दुओं को 2.6% और गरीब हिन्दुओं को 6.25% मुग़ल शासन को टैक्स के रूप में देने पड़ते थे। नहीं देने पर उन्हें अंजाम भुगतना पड़ता था।

सोचिए, गरीब हिन्दुओं से 6.25% टैक्स लेकर औरंगजेब इन पैसों का इस्तेमाल हिन्दू राज्यों के खिलाफ ही युद्ध लड़ने के लिए करता था। इन पैसों को उस फ़ौज पर खर्च किया जाता रहा होगा, जो हिन्दुओं के मंदिरों को तोड़ती थी। एक तो संसाधनहीन गरीब इतनी मेहनत कर के कमाते थे, ऊपर से मुगलों का अत्याचार सहन करने के अलावा उन्हें टैक्स भी देते थे। यानी, हिन्दुओं को अपने ऊपर अत्याचार को फंड करने के लिए आपसी देने होते थे।

यही कारण था कि कई गरीब हिन्दुओं ने मजबूरी में धर्मांतरण कर लिया, ताकि वो अपने परिवार को सुरक्षित रख सकें। उन्होंने इस्लाम मजहब अपना लिया, ताकि उन्हें जज़िया कर न देना पड़े। हिन्दू और गरीब होते चले गए, जिनके कारण कभी ये देश ‘सोने की चिड़िया’ कहलाता था और जो इस देश को बनाने वाले थे। इतिहासकार बताते हैं कि इन सबके बावजूद औरंगजेब का समय खत्म होते-होते मुगलों के खजाने में नकदी बची ही नहीं थी।

जज़िया कर का उद्देश्य सिर्फ हिन्दुओं को परेशान करना ही नहीं था, बल्कि मुल्ले-मौलवियों को खुश करना भी था। औरंगजेब राजपूत और मराठों से परेशान था, ऐसे में उसने मुस्लिम जनसंख्या को अपने पीछे लामबंद करने के लिए ये तरीका अपनाया। जज़िया का बहाना बना कर मुल्ले-मौलवी गरीब हिन्दुओं को सताते थे। गाँवों से जज़िया वसूली में फ़ौज की मदद तक ली जाती थी। जिन्हें ये कार्य सौंपा गया था, वो हिन्दुओं पर काफी अत्याचार करते थे।

मुल्ला-मौलवी वर्ग को रोजगार का एक अतिरिक्त साधन मिल गया। हालाँकि, औरंगजेब को सन् 1704 (अपनी मौत से 3 साल पहले) में अराजकता को रोकने के लिए परेशान होकर दक्षिण भारत से जज़िया कर हटाना पड़ा। ऐसा कर के उसे लगता था कि मराठे उससे समझौता कर लेंगे। जिसने अपने ही पिता को कैद कर के सत्ता पाई हो और अपने भाई को मार कर उसे प्लेट में रख कर पिता के सामने पेश किया हो, वो व्यक्ति भला एक अच्छा शासक कैसे हो सकता था।

असल में मुगलों द्वारा जज़िया लगाने का उद्देश्य ही या धरना कायम करनी थी कि मुस्लिम ही सबसे श्रेष्ठ हैं और बाकी सब उसके नीचे आते हैं। बाद में वामपंथी इतिहासकारों ने शरीयत का रोल नकारते हुए जज़िया के ‘राजनीतिक कारण’ गिनाने शुरू कर दिए। औरंगजेब ने मराठों के खिलाफ लड़ाई को भी ‘गाजा’ दिखाया था, अर्थात इस्लाम के लिए जिहाद। असल में जज़िया का सीधा अर्थ था हिन्दुओं को नीचा दिखाना, उन्हें अपमानित महसूस कराना।

इसीलिए, एक नया नियम लागू किया गया। इसके बारे में मार्क जैसन गिल्बर्ट ने ‘South Asia in World History‘ में बताया है। इसके तहत, घर के मुखिया को व्यक्तिगत रूप से कलक्टर के सामने पेश होकर जज़िया कर अदा करना पड़ता था। इस दौरान मुस्लिम कलेक्टर बैठा रहता था और सामने हिन्दुओं को खड़े होकर लाइन लगानी पड़ती थी। इस दौरान उन्हें कुरान की वो आयत दोहरानी होती थी, जिसमें गैर-मुस्लिमों को मुस्लिमों से नीचे बताया गया है।

Here is a an account of the secular Aurangzeb by RC Majumdar. Jizya was reimposed ‘with the object of spreading Islam and overthrowing infidel practices’. From Masir-I-Alamgiri by MSM Khan, but Ganga Jamuni types prefer @AudreyTruschke pic.twitter.com/kif0jJDItZ

— Sanjay Dixit ಸಂಜಯ್ ದೀಕ್ಷಿತ್ संजय दीक्षित (@Sanjay_Dixit) November 24, 2018

साथ ही औरंगजेब ये भी योजना बना रहा था कि भविष्य में हिन्दुओं को मुग़ल शासन में बड़े पदों पर न बिठाया जाए। ऐसे पदों को मुस्लिमों के लिए आरक्षित करने की तैयारी थी। वो अप्रैल 1779 का ही समय था, जब औरंगजेब ने अकबर द्वारा हटाए गए जज़िया कर को पुनः लागू किया। सन् 1564 में इसे हटा दिया गया था। औरंगजेब को न सिर्फ मराठा और मरवाद, बल्कि बुंदेलखंड में छत्रसाल से भी चुनौती मिल रही थी जिन्होंने अपना अलग साम्राज्य स्थापित किया।

इन सबके अलावा सिख भी थे, जो तमाम अत्याचारों के बावजूद मुगलों के सामने झुकने के लिए तैयार नहीं थे। जाट विद्रोह से औरंगजेब परेशान था ही। औरंगजेब ने जज़िया की वसूली के लिए राजस्व विभाग में कई मुस्लिमों की नियुक्तियाँ की। सन् 1687 में उसने एक इंस्पेक्टर जनरल की नियुक्ति की, ताकि नियमों को और कड़ा बनाया जा सके। औरंगज़ेब के समय में काजियों का बोलबाला था और इसीलिए संगीत तक पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

औरंगजेब ने ये नियम भी बनाया कि महिलाओं को ‘चुस्त कपड़े’ पहनने का कोई अधिकार नहीं है और उनके शरीर पर कपड़े फैले हुए होने चाहिए। साथ ही उसने दाढ़ी की लंबाई भी तय कर रखी थी और मुस्लिमों को चार उँगली से ज्यादा लंबी दाढ़ी न रखने को कहा था। साथ ही मूँछ छिलने का भी कानून बनाया गया, क्योंकि उसे लगता था कि मूँछें होठों को ढँक कर रखेंगी तो इससे अल्लाह का नाम बोलने पर आवाज़ जन्नत तक नहीं पहुँचेगी।


Source

Copy

You Might Also Like

फ़ौज ने किया 400 हिन्दुओं का नरसंहार तो खुश हुए नेहरू, गाँधी ने पूरे बिहार को कहा ‘पापी’: 1946 दंगे News To Nation

ओडिशा के सूर्यवंशी गजपति राजा, जिन्होंने तेलंगाना तक इस्लामी शासन को उखाड़ फेंका था News To Nation

‘नौजवानों से नहीं कह सकते कि वे बम-पिस्तौल उठाएँ… राष्ट्र सेवा, राष्ट्रीय त्याग ही सर्व-महत्वपूर्ण’ News To Nation

जब अमेरिका के कई होटलों में स्वामी विवेकानंद को नीग्रो समझ अंदर जाने से रोका गया News To Nation

इस्लामी आक्रांताओं का संहार, कोणार्क चक्र का विज्ञान, सूर्य मंदिर और G20: जानिए इतिहास News To Nation

NTN Staff April 2, 2023 April 2, 2023
Share This Article
Facebook Twitter Email Print
Previous Article भगत सिंह, नेताजी बोस, आंबेडकर… वीर सावरकर के बाद इन्हें भी गाली देंगे राहुल गाँधी? News To Nation
Next Article शादी के फंक्शन में 4 लड़कियो ने किया डांस जमकर हुआ वायरल वीडियो। News To Nation
Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Follow US
© Saffron Sleuth Media .All Rights Reserved.
  • सारी हिन्दी ख़बरें
  • संपर्क करें
  • हमारे बारे में
  • गोपनीयता नीति
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?