भारत की मेनस्ट्रीम मीडिया के सूत्र जन्म से झूठे रहे हैं। ओपीइंडिया के भी सूत्र झूठे ही निकले हैं। एनडीटीवी (NDTV) वाले रवीश कुमार (Ravish Kumar) ने इस्तीफा नहीं दिया है। यह बात उन्होंने खुद ही कही। ट्वीट भी किया और फेसबुक पोस्ट भी। इसे आप नीचे पढ़ सकते हैं। हमने ट्वीट एम्बेड कर दिया है।
माननीय जनता,
मेरे इस्तीफ़े की बात ठीक उसी तरह अफ़वाह है, जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुझे इंटरव्यू देने के लिए तैयार हो गए हैं और अक्षय कुमार बंबइया आम लेकर गेट पर मेरा इंतज़ार कर रहे हैं।
आपका,
रवीश कुमार,
दुनिया का पहला और सबसे महँगा ज़ीरो टीआरपी ऐंकर— ravish kumar (@ravishndtv) August 24, 2022
आश्चर्यजनक बात यह है कि इस बार जीरो टीआरपी एंकर का 3 लाइन की पोस्ट में ही दम फूल गया है। शायद कंपनी के नए पप्पा अडानी के 29 टका का असर हो। पिछली बार ‘इस्तीफा नहीं दिया है’ इस पर शोध-पत्र लिखने में काफी मेहनत की गई थी। नीचे उसका भी स्क्रीनशॉट लगा है। लंबाई-चौड़ाई आप नाप लीजिए।
सोशल मीडिया में यह भी दावा है कि रवीश कुमार ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि उन्हें अडानी की नौकरी भी मंजूर है। इससे पहले सोशल मीडिया में यह दावा किया जा रहा था कि प्रणब और राधिका रॉय से उनका पंगा हो गया है और उन्हें धक्के मारकर बाहर निकालते हुए अर्चना कॉम्प्लेक्स के गार्ड ने अपनी नंगी आँखों से देखा है।
रविश कुमार ने इस्तीफ़ा देने से मना किया ।
कहा कि उसे अड़ानी की नौकरी मंज़ूर है
— Rishi Bagree (@rishibagree) August 24, 2022
लेकिन ये दावे भी प्राइम टाइम की तरह ढकोसले ही साबित हुए हैं। पहले खबर आई कि राधिका और प्रणब रॉय को खबर भी नहीं लगी और अडानी ने 29 टका ले लिया। अब रवीश कुमार इस्तीफा देने से मना कर रहे हैं।
हमने उनके इस्तीफे की अफवाह फैलाने वाले सूत्र का पता लगाने के लिए आपीइंडिया के एडिटर को फोन किया। उन्होंने फोन नहीं उठाया। हमने मेल किया। उन्होंने जवाब नहीं दिया। हमने भी जिद ठानी कि सच्चाई पता लगाकर ही रहेंगे। हमने फॉल्टन्यूज वाले मदरसा छाप जुब्बू फैक्टचेकर से संपर्क किया। उसने रातभर लेंस जूम इन, जूम आउट किया। सुबह बताया कि सूत्र ने टोपी पहन रखी है। हाथ से कान छिपा रखा है। ऐसा हार्डकोर आतंकी ही करते हैं। सूत्र कुवैत का भी हो सकता है।
आखिर में सच्चाई का पता हमें अनारकली ऑफ आरा से चला। उन्होंने हमें एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया है, “मुझे पता नहीं यह तुलना सही है या नहीं। लेकिन रवीश कुमार के साथ भी राहुल गाँधी जैसा ही हुआ है। जैसे राहुल गाँधी को पप्पू-पप्पू बोल उनका ‘पप्पूकरण’ किया गया, वैसे ही इस्तीफा-इस्तीफा बोल रवीश कुमार का ‘इस्तीफाकरण’ किया गया। मैं रवीश कुमार से मिली हूँ। वे बड़े ढीठ हैं। अपना ही थूका वे भले एक बार चाट लें, लेकिन इस्तीफा कभी नहीं दे सकते।”
जिनको खोजी पत्रकारिता की चुल हो उनके लिए खास खबर यह है कि रवीश कुमार के इस्तीफे की तरह यह भी सटायर ही है।